संस्कृत साहित्य का इतिहास

संस्कृत साहित्य का इतिहास

रामायण– आदि कवि वाल्मीकि की कृति वाल्मीकीय रामायण प्रथम आदि-काव्य हुआ

।। रामायण में सात कांड है- बालकांड, अयोध्याकांड, अरण्यकांड किष्किंधा कांड, सुंदरकांड, युद्ध कांड, उत्तर कांड।।

।। इसमें लगभग 24 सहस्त्र श्लोक हैं अतः इसे “चतुर्विशति साहस्त्री संहिता” भी कहते हैं । यह मुख्यतः अनुष्टुप श्लोक में है।।

                ।। करुण रस अंगी है।।

*रामायण की शैली *

वाल्मीकि की शैली को वैदर्भी शैली कह सकते हैं। इसमें भाव-भाषा का समन्वय, सरलता,सुबोधता आदि सभी गुण सन्निहित है । इसमें शैली के तीनों गुण प्रसाद, आज और माधुर्य है।

भाषा :- रामायण की भाषा सुंदर सरल ललित और सुबोध है। वाल्मीकि का भाषा पर असाधारण अधिकार है । वे प्रसन्न एवं भाव के अनुरूप शब्दावली का चयन करते हैं। प्राचीन होने पर भी कालिदास आदि की भाषा के तुल्य प्रौढ़ता एवं परिष्कार परिलक्षित होता है यथा सुमुखी नायिका वत शरद कालीन रात्रि की शोभा का वर्णन ।

रस :- रामायण में प्रायः सभी रस प्राप्त होते हैं। करुण श्रृंगार और वीर इनमें मुख्य है। करुण रस अंगी है अन्य रस अंग है । श्रृंगार के दोनों पक्षों- संभोग- और विप्रलम्भ -का वर्णन प्राप्त होता है।। 🙏 


                                                      




                       

Comments

  1. महर्षि बाल्मीकि अत्यंत सुप्रसिद्ध विद्वान थे

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  2. Nice content
    अति प्रस्सन्निय

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  3. People keeping sanskrit alive 🙏🏼🙏🏼

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    1. कोशिश तो यही है।

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  4. Waah sanskritacharya ji... bhut achche

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  5. Hamein maharshi bharadwaj ki rachanaon ki bhi jankari dijie

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