पंचतंत्र की कथा
विष्णुशर्मकृतं हृद्यं पञ्चतंत्राख्यमद्द्भुतम्
मित्रभेदाख़्यमार्घम् तू मित्रसंप्राप्तिरेव च ॥
काकोलूकीय संयुक्त लब्धनाशतुरीयकम्
पञ्चमं भासते तन्त्रम् अपरीक्षितकारकम्।।
नीतिशास्त्रार्थसार तु जीव-जन्तु कथान्वितम्
विश्वसाहित्यमूर्धन्य राजते पञ्चतन्त्रकम्।। (कपिलस्य)
पञ्चतन्त्र इतिहास में सर्वाधिक प्रसिद्ध और लोकप्रिय कथाग्रन्थ हैं। इसकी कथाएँ सभी वर्गों के लोगो को रूचिकर और प्रिय लगती हैं।पञ्चतन्त्र के लेखक का नाम विष्णुशर्मा हैं।
पंचतंत्र का समय इतिहासकारों केअनुसार चन्द्रगुप्त मौर्य (३४५ ई० पू० - ३०० ई० पू०) के समकालीन माना गया है। इस प्रकार इसके लेखन का समय ३०० ५ ई० पू० के लगभग होगा। प्रो० हर्टल इसका समय लगभग २०० ई० पू० मानते हैं। डा. हर्टल और प्रो० एडगर्तत ने पंचतन्त्र के मूलरूप के लिए बहुत परिश्रम किया है।
पंचतंत्र की कथा और शैली :-
\महिलारोप्य, के राजा अमर शक्ति के तीन मूर्ख पूत्रों को को ६ मास में बुद्धिमान तथा राजनीतिक विद्या में पारंगत बनाने का बीड़ा उठाकर विष्णुशर्मा ने पंचतंत्र की रचना का कार्य प्रारंभ किया और अपनी प्रतिज्ञा को भी उन्होंने पूरा किया। पंचतन में ५ मुख्य कथाएं हैं। प्रत्येक कथा में अनेक अकथाएँ हैं।
प्रत्येक तंत्र में एक-एक नीति - शिक्षा दी है।
तत्रों के नामादि इस प्रकार हैं :-
अकथाएँ श्लोकसंख्या कथा
1-मित्रभेद 22 ४६१(461) शेर और बैल की मित्रता तुडवाना
2- मित्रसंप्राप्ति 6 १९९(199) काक, कछुआ, मृग और चूहे की कहानी
3- काकोलूकीय 16 २५५ (255) काक और उल्लू की कथा
4- लब्धप्रणाश 11 ८० (80) बन्दर और मगर की कथा
5- अपरीक्षितकारक 14 ८८ (88) ब्राहमणी और न्याले की कथा
मित्रभेद में यह ज्ञान दिया गया है कि किस प्रकार दो मित्रों में झगड़ा करा दिया जाए। शेर निगलक और बैल संजीवक घनिष्ट मित्र थे। करतक और दमनक नामक दो गीदड़ो ने उनमें फूट डाल दी और बैल की हत्या करवा दी।
मित्रसंप्राप्ति में नीतिशिक्षा है कि अनेक उपयोगी मित्र बनाने चाहिए। कौआ, कछुआ, हिरन और चूहा साधनहीन होने पर भी मित्रता के बल पर सुखी रहे।
काकोलूकीय में नीति शिक्षा है कि स्वार्थसद्धि के लिए शत्रु से भी मित्रता कर ले और बाद में उसे धोखा देकर नष्ट कर दे अर्थात् सन्धि-विग्रह की शिक्षा। कौआ उल्लू 'से मित्रता कर लेता है और बाद में उल्लू के किले में आग लगा देता है।
लब्ध-प्रणाश में नीतिशिक्षा है कि वुद्धिमान् बुद्धि-बल में जीत जाता है और मूर्ख हाथ में आई हुई वस्तु से भी हाथ खो बैठता है। बन्दर और मगर की मित्रता होती है। मगर की पत्नी बन्दर का मीठा दिल चाहती है। बन्दर मगर से यह कहकर जान बचाता है कि मेरा दिल पेड़ पर छूट गया है, अत: किनारे पहुँचा दो। बदर भाग जाता है और मगर मूँह ताकता रह जाता है। हाथ में आई हुई वस्तु भी मुर्खता से हाथ से निकल जाती है।
अपरीक्षित-कारक की नीति शिक्षा है कि बिना विचारे जो करे सो पाछे पछिताए। ब्राह्मणी ने अपने प्रिय तथा सर्प से शिशु की रक्षा करने वाले नेवले की चट समझ कर हत्या कर दी कि उसने बच्चे को मार डाला है। वह बिना विचारे काम करने से बाद में पछताती है।
पंचतन्त्र का विश्वव्यापी प्रचार
पशुकथा के माध्यम से राजनीति की शास्त्र शिक्षा देने के कारण पंचतन्त्र का विश्वव्यापी प्रचार हुआ है। बाइबिल के बाद इसका ही संसार में सबसे अधिक प्रचार है। इसके लगभग २५० संस्करण विश्व की ५० से अधिक भाषाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। इनमें से तीन-चौथाई भाषाएँ भारत से बाहर की हैं। एशिया और यूरोप में ही नहीं, अपितु अन्य महाद्वीपों में भी इसका प्रचार प्रसार है।
Yadi aapko ismein aur Adhik Jankari chahie to share Karen
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