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Showing posts from April, 2023
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पंचतंत्र की कथा विष्णुशर्मकृतं हृद्यं पञ्चतंत्राख्यमद्‌द्भुतम् मित्रभेदाख़्यमार्घम् तू मित्रसंप्राप्तिरेव च ॥ काकोलूकीय संयुक्त लब्धनाशतुरीयकम् पञ्चमं भासते तन्त्रम् अपरीक्षितकारकम्।। नीतिशास्त्रार्थसार तु जीव-जन्तु कथान्वितम् विश्वसाहित्यमूर्धन्य राजते पञ्चतन्त्रकम्।।     (कपिलस्य) पञ्चतन्त्र इतिहास में सर्वाधिक प्रसिद्ध और लोकप्रिय कथाग्रन्थ हैं। इसकी कथाएँ सभी वर्गों के लोगो को रूचिकर और प्रिय लगती हैं।पञ्चतन्त्र के लेखक का नाम विष्णुशर्मा हैं। पंचतंत्र का समय इतिहासकारों केअनुसार चन्द्रगुप्त मौर्य (३४५ ई० पू० - ३०० ई० पू०) के समकालीन माना गया है। इस प्रकार इसके लेखन का समय ३०० ५ ई० पू० के लगभग होगा। प्रो० हर्टल इसका समय लगभग २०० ई० पू० मानते हैं। डा. हर्टल और प्रो० एडगर्तत ने पंचतन्त्र के मूलरूप के लिए बहुत परिश्रम किया है। पंचतंत्र की कथा और शैली :- \महिलारोप्य, के राजा अमर शक्ति के तीन मूर्ख पूत्रों को को ६ मास में बुद्धिमान तथा राजनीतिक विद्या में पारंगत बनाने का बीड़ा उठाकर विष्णुशर्मा ने पंचतंत्र की रचना का कार्य प्रारंभ किया और अपनी प्रतिज्ञा को भी उन्होंने पूरा क...

मुद्राराक्षस की संक्षिप्त कथा

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                                    मुद्राराक्षस की संक्षिप्त कथा   यह 6 अंको का राजनीति - विषयक नाटक है। इसमें मुद्रा (अंगूठी) के द्वारा राक्षस को वश में करने का वर्णन है, अत: इसका नाम मुद्राराक्षस पड़ा। इसमे चाणक्य ने, नंदवंश का नाश किया है और अपनी कूटनीतिक चालों से नन्दवंश के मुख्य मंत्री राक्षस को वह चन्द्रगुप्त का मुख्य मंत्री बना देता है। क्योंकि बिना राक्षस को नियंत्रित किये चन्द्रगुप्त का राज्य स्थिर नहीं हो सकता। अंक प्रथम - चाणक्य स्वयं नन्द्रवंश के नाश की प्रतिज्ञा करते हैं, और नन्द्रवंश के मुख्यमंत्री  राक्षस को अपने                   वश में करके चन्द्रगुप्त का राज्य सुइट कमुख्य मंत्री बनाकर उसका कर ऐसी प्रतिज्ञा करते हैं। विषानुसार योजनाएँ बनायी जाती हैं। चाणक्य के प्रयोग से मायकेत के पिता, पर्वतक की हत्या काता राष्ट्रमस ने एक राक्षस है और ने उसे मरवाया गुप्तचर प्रचार "करता है कि है। चाणक्य का जिसका नाम क्षपणक, जीवसिद्धि है का ...