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मेघदूतम्

                              मेघदूत  यह संस्कृत जगत के सर्वश्रेष्ठ गीतिकाव्यों मैं सर्वप्रथम गिना जाता है। कालिदास की परिपक्व कला, कल्पना  की ऊंची उड़ान परिष्कृत माधुरी-भरी भाषा विषय की धारावाहिक गीति, एवम गीति की एकतानता का यह अद्भुत संगम है, जिसके टक्कर का गीतिकाव्य विश्व भर में दूसरा कोई नहीं है।  मेघदूत में कुबेर के शाप के कारण अपने प्रिया से विमुक्त हुँये यक्ष के व्यथित हृदय की वेदना- भरी कहानी है, हृदय को द्रवित कर देने वाली विप्रलंभ ! की एक करुण-गीतिका है। यह दो भागों में विभक्त है―   पूर्वमेघ और उत्तरमेघ । पूर्वमेघ में यक्ष के रामगिरी में निवास करने से लेकर अलकापुरी तक का वर्णन है।                               पूर्वमेघ प्रिया के प्रति अंध-प्रेम होने के कारण अपने कर्तव्य से प्रमाद करने वाला एक यक्ष यक्षेश्वर कुबेर द्वारा शाप के रूप में वर्ष भर के लिए अलकापुरी जो कि उसकी अपनी नगरी है वहाँ से निकाल दिया जाता...